Javed Akhtar Reacts to Animal Success: जावेद अख्तर ने रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ के नाम लिए बिना इस पर निशाना साधा है। जावेद अख्तर ने इस फिल्म की सक्सेस को खतरनाक बताया है।
बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल‘ 1 दिसंबर, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस जबरदस्त कमाई की है। फिल्म ने भारत में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया है। इस फिल्म ने भले ही काफी अच्छी कमाई की है लेकिन इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ है। अब मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने संदीप वंगा रेड्डी के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘एनिमल’ की सक्सेस पर सवाल उठा दिया है। यहां तक कि जावेद अख्तर ने ‘एनिमल’ की सक्सेस को खतरनाक बताया है। आइए जानते है कि आखिर जावेद अख्तर ने ऐसा क्यों कहा है।
जावेद अख्तर ने की फिल्म की आलोचना
जावेद अख्तर ने औरंगाबाद में अजंता एलोरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में आजकल फिल्मों की सफलता पर अपना राय जाहिर की है। जावेद अख्तर ने फिल्म’ एनिमल’ का नाम लिए कहा है, ‘अगर कोई फिल्म जिसमें एक आदमी औरत से कहे तू मेरे जूते चाट। अगर एक आदमी कहे इस औरत को थप्पड़ मार देने में क्या खराबी? वो पिक्चर सुपरहिट हो तो बड़ी खतरनाक बात है।’ बता दें कि फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर ने अपने प्यार को साबित करने कि लिए तृप्ति डिमरी से अपने जूत चाटने के लिए कहा था। वहीं, फिल्म ‘कबीर सिंह’ में शाहिद कपूर ने कियारा आडवाणी को थप्पड़ मारा था। इन दोनों फिल्म को संदीप वंगा रेड्डी ने डायरेक्ट किया और दोनों ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थीं।
जावेद अख्तर ने गानों पर उठाए सवाल
जावेद अख्तर ने ना सिर्फ फिल्म की कहानी को लेकर बल्कि गानों पर रिएक्शन दिया है। जावेद अख्तर ने कहा, ‘आजकल कैसे गाने होने लगे हैं?’ जावेद अख्तर ने फिल्म खलनायक के चर्चित गाने ‘चोली के पीछे क्या है’ को लेकर बात की। जावेद अख्तर ने कहा, लोग आश्चर्यचकित हैं कि आज के गाने इतने समस्याग्रस्त क्यों हैं। चोली के पीछे क्या है का उदाहरण ले लीजिए, मुद्दा गीत के निर्माण शामिल 7 पुरुषों और 2 महिलाओं का नहीं है। वे शायद ही कोई समस्या है। समस्या ये है कि दर्शकों ने इस गाने को जबरदस्त हिट बना दिया। करोड़ों लोगों ने गाने को पसंद किया। ये डरावना है। जावेद अख्तर ने आगे कहा कि इस तरह की फिल्मों और गानों को ऑडियंस सफल बनाती है। जावेद अख्तर ने कहा, ‘एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी सिनेमा बनाने वालों से ज्यादा, सिनेमा देखने वालों की है। ये आपकी जिम्मेदारी है। ये आप तय कीजिए कि फिल्में कैसी बनेंगी और कैसी फिल्में नहीं बनेंगी।’